नीला आकाश धरा
के ऊपर झूलता
शायद किसी मज़बूत
रस्सी से लटका
गोल गोल चाँद
आकाश में अटका
धरा नीचे अपनी
धूरी पर घूमती
सूरज की हर
किरण और
बारिश की हर
बूँद को चूमती
बीच में है
इंसान जो सोंचता
की वोह
दुनिया चलाता है
पर वो यह
भूल जाता है
की उससे बड़ा
भी कोई है
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