Monday 9 March 2015

चुप रहो

चुप रहो, छिपाने के लिए और बहुत कुछ है
अपने स्वयं के भावनाएँ, और सपने
मानसिक गहराई में
भावनाओं से उपजे भविष्य के इंद्रधनुषी सपने
कुछ दिल से सोंच कर, कुछ दिमाग़ की फॅक्टरी में बुने गये
चुरा ना ले कोई इनको

चुप रहो, छिपाने के लिए और बहुत कुछ है


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